STORYMIRROR

Bharati Singh

Others

3  

Bharati Singh

Others

मैं महाकाल का लाल प्रिये

मैं महाकाल का लाल प्रिये

2 mins
482


कान्त प्रतीक्षा, सुन्दर रातें,

प्रेम कथन, कुछ अनछुई बातें।

ऐसे अगणित अहसासों में,

हृदय बना शमशान प्रिये।।

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


राम तुम्हीं में, ईश तुम्हीं में,

झुकता भी यह शीश तुम्हीं में।

युगों युगों को करती रौशन

सृष्टि धरा रजनीश तुम्हीं में।।

वो शान्त सुनहरी वृक्षलटा,

वो महादेव की दिव्य जटा।

हा हृदय तृषित, यह शोकाकुल मन,

तेरा ही अनुभाग प्रिये।

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो,

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


तेरे होठ में लिपटी कली कोई

वो फ़ूल है या पंखुडी कोई

तेरे शहर की यादें बुला रहीं

वो अपनी लगती गली कोई

तेरी काया निर्मल छाया हो

तेरे रश्क की दिलकश माया हो

तेरे नज़र की सरगम मचल रही

जैसे दूर खड़ी हमसाया हो

तुम उगती सुबहे बनारस हो

मैं अवध की ढलती शाम प्रिये

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


आवाज़ सुनाते गगन तलक

यूँ भूल ना जाना फलक कभी

जिस ज्योत की है वो कलश तेरी 

महरूम है उसकी झलक अभी

बस जाते जाते दूर तलक

गुमनाम ना खुद को कर जाना

तेरे नाम बिना ये नाम कहाँ

इस शख्स को भी है मर जाना

मेरे ख्वाब की शैया कुचल गयी

है मुरझाया सा हाल प्रिये

तुम

कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


हर सोच तुम्ही तक जाती है

हर चिंतन तेरी तरुणाई 

हर दिवस तुम्हारी याद बने 

हर रात तुम्हारी परछाई 

हर बार हमारी नजरों में

तस्वीर तुम्हारी दिखती है

बस तेरी ही तो खुशी तलक

तकदीर हमारी टिकती है

तुम जनकपुरी की सीता हो

मैं कलयुग का श्री राम प्रिये

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


मैं कक्षा का मेधावी था

तुम लज्जा की प्रतिमूर्ति हो

मै बहुधा बकबक करता था

पर धीर धरे तुम सुनती हो 

दिल खोल के रख देती हो मुझसे 

बस दुनिया से शर्माती हो

मैडम की नजरें पड़ी नहीं

पलकें जिसकी झुक जाती हो

मेरे रूह की रौनक चली गयी

बस बीत रहा हर साल प्रिये

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


अनजाने कुछ उन्नीदे क्षण,

यादों के कुछ भीग गये कण।

तेरी हर वो याद यहीं थी

सब था पर तुम नहीं निकट में।।

कुछ निखरीं, कुछ उजड़ गईं,

कुछ व्यथा बनीं, कुछ बिखर गईं।

हमने जो पल साथ बुने थे

जल कर बन गया राख प्रिये

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये...

तुम कुम्भ नगर की झांकी हो 

मैं महाकाल का लाल प्रिये।।


Rate this content
Log in