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Ankur Bhardwaj

Abstract Drama Action

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Ankur Bhardwaj

Abstract Drama Action

साथी हाथ बढ़ाना

साथी हाथ बढ़ाना

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काश वो वक्त उस रक्त की तरह रुक जाता

वो रात काश कभी न खत्म होती

जिस रात पर्दाफाश हुआ उस जिस्म का

जिसमें लहू लुहान थी जनता 


एक सरकार के बदले रुपया 

वाहन चलाइए दुपहिया

और निकल पड़िए उस दौड़ पे

उस आदमी की खोज में 


जो हो गया है गुम

इस नर्सरी की फौज में

शायद कन्नौज में

जहां तहां यहां वहां 


पर पारदर्शिता देखिए

खुद से खुद को मिलाइए

आईना तकरीबन दिखाइए

और पकड़ चलो तुम मेरा हाथ


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