रंग बरसे हे
रंग बरसे हे
हे तेरी लीला नियारी रंग बरसे हे, क्यारी - क्यारी
प्रकृती के ये सारे रंग ,जो रहते मानव के संग
रंग बरसे हे चक्रो में , जो देते जीवन में आनंद
लाल बरसे मूलाधार में
जो जोड़े पृथ्वी के संग
बरसाया नाभि में पीला,
जो जगाऐ आत्मविश्वास जोशीला
रंग हरा है तत्व हवा है,
रखता ह्रदय जो हरा -भरा
कर दिया कंठ नीला,
स्वर कोकिला जैसा सुरीला
नयनो के मध्य बैंगनी,
जो कर दे जागृत अपार शक्ति
मस्तिक में चमकाया चमकीला बैंगनी,
मानव में जो बरसे रंग अगर बरसे बाहर वो संग
हो जाये जीवन रंगीला ,फिर ना रहे कोई खालीपन
है तेरी लीला न्यारी रंग बरसे है, क्यारी-क्यारी।