रिश्तों की गांठ
रिश्तों की गांठ
गांठ
रिश्तों में
जब पड़
जाते हैं
वो
अनश्वर
अविनाशी
अमिट
होते हैं
वो गांठ
बज्रगांठ
हो जाते हैं
इस जन्म में क्या
किसी जन्म में भी
नहीं खुल पाता है
प्रेम के
ताकत से
अगर खुलते भी
हैं तो
चिन्ह
पड़ ही जाते हैं
जब खोलने की
कोशिश
होता है
वो रिश्ते और
उलझते जाते हैं।