राष्ट्रप्रेम गीत (17)
राष्ट्रप्रेम गीत (17)
खुल के आओ मेरे, दुश्मनों जंग में।
बार तुम न करो, कायरों की तरहा।।
हम तो आके, चुनौती तुम्हें दे रहे।
हो कलेजा जिगर, आओं शूर की तरहा।।
बार तुमने किया है, सोए सिंह पर।
उसके अंजाम से क्या, तुम वाकिफ नहीं।।
अब हैं बारी हमारी, करो सामना।
रण में जमना, तुम्हारी क्या हिम्मत नहीं।।
आओ सजदा करो, मातरे हिंद का।
हम तुम्हें माफ कर देंगे, वादा रहा।।
तुम ना आए यदि, बात मानके मेरी।
तो समझो तुम्हें यम ने, बुलवा लिया।
फिर ना कोई दलीलें, सुनी जाएंगी।
फैसला एक तरफा, ही होके रहे।।
तुम ना बच पाओ, जाके धरा गर्व में।
खीच लायें हलक, तन प्राण न रहे।।
