"राम तुम्हारे आगमन पर"
"राम तुम्हारे आगमन पर"
हे ! राम तुम्हारे आगमन पर
फूल बरसे !
दिए जले !
नगर सजे !
लोग हंसे !
राम राज का संचार हुआ
मगर ये कलयुग है
आज की कौन सोचे
आप आते होंगे
इस एक आभास से
दिए जलते हैं
लोग हंसते मिलतें हैं
एक रोजमर्रा के काम जैसा
इसे भी निबटा दिया
अब अपने आनंद का लुफ्त
अपनी हंसी अपना सुख
नमन उस पुरुष को
जो अब महापुरुष हो गए
जीना जरूरी है तो
पीना जरूरी कह गए
इस कत्ल की शक्ल पर गए
तो खुद कत्ल होंगे
इसे शहादत समझे तो
हमदर्द बहुतेरे होंगे
दिया का धुंआ है
तो अच्छा है
हवा से बैक्टीरिया मरेंगे
बारूद की राख़ हुई जो
मासूम कैसे हसेंगे
आज आप खुश बहुत होंगे
आपने धूप सूखा दी
सांसे बुझा दी
सूरज को हनुमान बन
अपनी क्षुधा मिटा ली
इसलिए मित्रों
मैं भी अब आज से
धूम्रपान से दोस्ती कर
नफ़रत छोड़ रहा
क्योंकि ना चाहते हुए भी
रोज़ पच्चीसों खींच रहा
मैं तो बेबस हूं
नादानों को फुलझडियां
मासूम जिंदगियों का
असल कौन बताए
धर्म आइना है
खुद के लिए
दूसरे से पहले
बस उन्हें सही सूरत
जरूरत नजर आए
कितना खीझ है
मनुष्य के हृदय में
हठी भी है
ये सोच की धुंध है
खामखां हम और आप
दोष आरोप लगा रहे
कि दीवाली नहीं पराली है
पराली नहीं दीवाली है !
