राइज अप यू!
राइज अप यू!
जगा दो झंझोड़ दो पर खुद को उठा दो
चाहे मारो खुद को लात पर आलस को अब सुला दो
ये वक़्त नहीं है रुकने का झुकने का
ये वक़्त सिर्फ तुम्हारा है जाकर ये दहाड़ दो।
उठे दशरथ के वचन चाहे जागे काली के नयन
टूटना नहीं हारना नहीं हर मुश्किल को पछाड़ दो
बन जा महाकाल या बन तू परशु का फरसा
पर ये आज सिर्फ तेरा है
जाकर इस पर अपना झंडा फहरा दो।
यम भी झुकेगा हिमालय भी टूटेगा
तुम भीष्म की प्रतिज्ञा तो लो
तीन लोक भी तेरे होंगे
एकलव्य का निशाना अपना तो लो
कोई न रोक सकता तुझे पूरे जहां में ये फैला दो।
