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Phool Singh

Inspirational

4.5  

Phool Singh

Inspirational

पुरुष

पुरुष

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जीता नही जो खुद की खातिर

जो परिवार की एकमात्र लाठी है

कभी नर्म तो कभी निष्ठुर प्राणी

छत, परिवार के सर पर लानी है।।


कड़ी धूप में मेहनत करता 

जिसने आराम करने की न ठानी है 

जानता है जो जिम्मेदारियां

उसे थपेड संघर्ष से खानी है।।


छोटे-बड़ो का ध्यान है रखता

जज्बा, कर्मठता जिसने ठानी है 

खुशहाल रहे उसके सगे संबंधी 

यही शर्त उसे निभानी है।।


बदला नही जो बदलाव को लाता

सच्चे पुरुष की यही निशानी है

प्रेमभाव रहे घर-परिवार में 

ऐसी नीति उसे बनानी है।



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