पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण
ना है पीने के लायक जल,
ना है हवा में ऑक्सीजन का बल।
भूमि भी दे रही है हमको छल,
मानव को मिल रहा है अपनी करतूतों का फल।
चारों ओर फैला है ऐसा शोर,
जिससे जंगल में दिख रहे ना जानवर, ना मोर।
अब फैलने लगे हैं ऐसे - ऐसे रोग,
जिसका उपाय है ना दवा, ना योग।
संख्या बढ़ती जा रही है इंसानों की,
साथ ही बढ़ती जा रही है लोगों की मांगे भी।
इसलिए मनुष्य काट रहा है जंगल व वन,
लालच से भर गया है मानव का मन।
मनुष्य प्रदूषित कर रहा है हवा व पानी,
साथ ही सच कर रहा है विनाश की भविष्यवाणी।
मनुष्य कर रहा है पर्यावरण का अंत,
ऐसे तो निकट है मानव का अंत।
आओ हम मिलकर पेड़ लगाएं,
धरती को स्वर्ग बनाएं।
धरती माता को दें यह उपहार,
उन्होंने किए हैं हम पर कई उपकार।