पृथ्वी का विश्राम
पृथ्वी का विश्राम
लाॅकडाउन नहीं ये पृथ्वी का विश्राम है,
बहुत सहे इस कष्ट धरा ने,
अब किया उसने भी रूदान है।
ये लाॅकडाउन विवशता में नहीं,
स्वेच्छापूर्वक स्वीकार करो,
वर्ष में दो दिवसीय लाॅकडाउन
दो बार करो।
बहुत किया विचरण बाहर,
अब अंतर्मन का प्रयाग करो।
समय दो परिवार को,
मातृपितृ को व्यक्त, आभार करो।
बहुत खा लिया पिज्जा-बर्गर,
पत्नी के बनाए व्यंजनों का रसपान करो।
नमन करो धरती माँ को,
उसका अब सम्मान करो।
माँ है ये हम सबकी,
अब इसकी सेहत का भी
ध्यान धरो।
डॉक्टर, पुलिस, सफाई कर्मी
खड़े हमारी ढाल बनकर,
इनका भी धन्यवाद करो।
कर रही पृथ्वी विश्राम,
तुम भी घर में आराम करो
ये लाॅकडाउन विवशता में नहीं,
स्वेच्छापूर्वक स्वीकार करो।