प्रकृति का संदेश
प्रकृति का संदेश
स्वार्थ में लिप्त जनमानस द्वारा
प्रकृति पर होता है अत्याचार
असुरता में वशीभूत बिना विचारे
बेखौफ करते हैं विविध दुराचार
एक पल में ठहर सी गई जिंदगी
लोग घरों में ही कैद हो गए
पिंजरे में कैद बेजुबानों का मर्म
कुछ हद तक लोग समझ गए
आपदाएं हैं प्रकृति के दिए हुए संदेश
समझना होगा इसे warning hello check
महामारी के बाद भी बदला नहीं जो आचार
बारंबार मौका ना मिलेगा करने का विचार
समय-समय पर प्रकृति देती है संकेत
संभले नहीं हम तो भयावह होंगे संदेश।