"प्रकृति और समाज के प्रति संवेदना: जीवन का नया रंग"
"प्रकृति और समाज के प्रति संवेदना: जीवन का नया रंग"
वृक्षों की छांव में बैठ,
हवा को अपने संग ले कर,
संवेदनाएं दफन कर दे,
जिंदगी की चाहतों को त्याग कर।
सृष्टि के सभी रंगों को जान,
जीवों के समझ में आने दे,
अपने अहंकार को मिटा,
अन्य जीवों की भावनाओं को समझने दे।
प्रकृति के संग निरंतर रह,
प्रेम और समझ से बढ़ता जा,
अपनी संवेदनाओं को संभाल कर,
समझौतों से दूर होकर सदा आगे बढ़ता जा।
दुनिया को एक नया रंग दे,
पर्यावरण और समाज को बचाने का संकल्प ले कर,
हर दिन कुछ नया सीखे,
अपने जीवन को सदा उजाले से भर कर।
इस पृथ्वी पर जो रहता है,
वह हर जीव का हिस्सा है,
इस पृथ्वी के नायक वही होंगे,
जो पर्यावरण और सामाजिक संवेदनाओं का सम्मान करेंगे।