परिवर्तन
परिवर्तन
जीवन का यथार्थ सत्य है यह परिवर्तन
सृजन कि नींव भी है यह परिवर्तन
आरंभ का मूल भी है ये परिवर्तन
हो तुम्हें स्वीकार्य या अस्वीकार्य
रहता सदा हैं, ये अपरिहार्य
कभी सहर्ष स्वीकार कर जाते हैं, इस पर रीझ
तो कभी रूष्ट हो आती हैं, इस पर खीझ
हर बार सरल नहीं होता हैं परिवर्तन को अपनाना
स्वयं को इसके अनुरूप होता हैं ढालना
जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन हैं परिवर्तन से युक्त
स्वयं ईश्वर भी नहीं रह सके हैं इससे मुक्त
मनुष्य का तो कर्तव्य, मानना है सिर्फ यही
हो रहा है जो परिवर्तन वहीं है सही