प्रेम
प्रेम
किसी से प्रेम कितना हम
जो करते हैं बताना हो।
किसी के आंख के आंसू
को जब मोती बनाना हो।
जरूरी है नहीं कि वो
हमेशा बस तुम्हारी हो।
कभी वो आंख का मोती
कभी सागर का पानी है ।
कभी मंदिर की है मूरत
कभी पत्थर का एक टुकड़ा ।
किसी से प्रेम कितना हम
जो करते हैं बताना हो।
किसी के आंख के आंसू
को जब मोती बनाना हो।
जरूरी है नहीं कि वो
हमेशा बस तुम्हारी हो।
कभी वो आंख का मोती
कभी सागर का पानी है ।
कभी मंदिर की है मूरत
कभी पत्थर का एक टुकड़ा ।