पंख अपने खोल दे
पंख अपने खोल दे
लेकर एक आशा है,
नया विश्वास है
बढ़ा लिए जो कदम
तो डर की बेड़ी तोड़ दे
मन में अब ठान ले
मुट्ठी कस के बांध ले
वक्त को रोक दे
तू रुकना अब छोड़ दे
होगा अंधेरों से भी सामना
और अपना कोई पास ना
तब संकल्प की मशाल को
हौसले की आग दे
अब मुश्किलों से हार ना
राह अपनी खोज ले
छूना है आकाश तो
पंख अपने खोल दे।।
पंख अपने खोल दे।।