पिता
पिता
माँ के ऊपर ना जाने कितनी कविता लिखी गयी हैं मेने पिता के ऊपर एक कविता लिखी है
पिता है तो दिल मे अरमान ज़िंदा है
पिता है तो अच्छे - बुरे का सबक है
पिता है तो ये सारा जहाँ अपना है
पिता वो खुली किताब है जिसमे हमारे नाम है
पिता है तो हमारे चेहरे पर मुस्कान है
पिता है तो मम्मी के सारे शौक है
पिता है तो जीवन एक बगीचा है जिसके हम फूल है पिता हैं तो हमारा नाम है
पिता है तो खाने को रोटी , पहनने को कपड़ा , रहने को मकान है
पिता है तो चलने के लिये पेरो के निचे जमीन है
पिता है तो हमारे जीवन मे सारी खुशियाँ है
पिता है तो इस दुनिया मे ही जन्नत है
पिता है तो जग मे सब अपने है
पिता है तो हमारे हाथो में किताब है
पिता है तो जिन्दगी मे रोज मौज है
पिता है
तो हमारी अच्छी परवरिश है
पिता है तो जीवन में अपने कदम आगे रखने की हिम्मत है
पिता है तो दुनिया में हमारी शान है
पिता है तो घर में रौनक है
माता पिता है तो घर में ही भगवान है
जिस तरह बच्चे के लिए माँ की ममता जरूरी होती है उसी तरह पिता की छाया भी जारूरी होती है
गिरने पर जो सहारा देता है , वो पिता होता है अपने बच्चो को हिम्मत देकर खुद रोने वाला , वो पिता होता है
पिता का दिल माँ के दिल से भी ज्यादा कोमल होता है लेकिन उसी दिल को कठोर दिखाने वाला , वो पिता होता है
सब कहते है बच्चे को पालने वाली माँ होती है लेकिन इन दोनों को पालने वाला , वो पिता होता है
जो हमारी पसन्द का ख्याल रखता है , वो पिता होता है
जिनकी डांट में प्यार झलकता है , वो पिता होता है ।।