पिता
पिता
अपने सपनों का गला घोंटकर
बच्चों के सपनों को गले लगाकर
रात दिन को एक समझकर
कोल्हू का वो बैल बनकर
परिवार का वो पेट पालकर
अपने ख्वाहिशें मन में दबाकर
अपनों की ख्वाहिशें पूरी करके
उनमें अपनी खुशी समझना
अपना सबकुछ उन पर बहाकर
उनकी खुशी में खुश रहकर
अपना सारा जीवन बिताना
इस त्याग और बलिदान का नाम पिता है