।। फूल ।।
।। फूल ।।
मैं एक फूल हूँ
कांटों के बीच रहता हूँ
जब जिसका मन आए,
वह तोड़ ले जाता है
कभी धार्मिक स्थलों के लिए
कभी दुःख के मंजरों के लिए
कभी पार्टियों के लिए
कभी प्रेमिकाओं के लिए
मेरी उतनी ही अहमियत है
जितनी आप की अपने घर में...
मूर्तियों की धार्मिक स्थल में...
आशिकों की प्रेमिका के दिल में...
दारू-बीयर की पार्टियों में...
आंसुओं की शोक सभाओं में...