फुर्सत
फुर्सत


मिलेंगे कभी जब मिल
जाए हमें फुर्सत,
अपनी अपनी दुनिया से।
ता उम्र निहारे हम
चेहरा एक दूसरे का।
चले आना बाहों में
मेरी जब मिल जाए फुर्सत,
तुम्हें अपनी दुनिया से।
मिलेंगे कभी जब
मिल जाए फुर्सत
हमें अपनी दुनिया से।
कभी मिलेंगे इस जहाँ से परे,
जहाँ सिर्फ हम हों।
जहाँ हर ओर खुशी हो,
रत्ती भर न गम हो।
दुनिया के किसी
छोर पे मिलेंगे हम,
बान्कियों की
चिंता छोड़ कर।
बनाएँगे हम बांकी जिन्दगी
बची हुई फुर्सत जोड़ कर।
मैं तुम्हारे लिए रब से
मांग लाऊँगा सांसें उधार में।
ताकी जाने से पहले
तू मुझे देख के मुस्का दे।
रूह हमारी मिलती रहेगी
किसी और जहाँ में,
तब शायद होंगी
फुर्सतें हमारे हाथों में।