STORYMIRROR

vanmala patkar

Action

4  

vanmala patkar

Action

पचपन का बचपन

पचपन का बचपन

1 min
288

साथी मेरे बचपन के,

अब हो गए पचपन के,

यादें हैं हृदय पटल पर

और तस्वीरें हैं मानस पटल पर,

दशहरा दीवाली, होली,

मिलकर मानते थे हमजोली,

न था जाति पाति का बंधन,

एक थे हमारे स्पन्दन,

न करते थे कभी पलटवार

ऐसा था बचपन का परिवार,

अब हो गई हैं उम्र बचपन की,

फिर भी यादें नहीं जाती बचपन की,

वही शरारतें, वही मस्ती,

हम निभाते अभी भी दोस्ती,

जब तक जीवन नैया है

हम सब उसके खिवैया हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action