पचपन का बचपन
पचपन का बचपन
साथी मेरे बचपन के,
अब हो गए पचपन के,
यादें हैं हृदय पटल पर
और तस्वीरें हैं मानस पटल पर,
दशहरा दीवाली, होली,
मिलकर मानते थे हमजोली,
न था जाति पाति का बंधन,
एक थे हमारे स्पन्दन,
न करते थे कभी पलटवार
ऐसा था बचपन का परिवार,
अब हो गई हैं उम्र बचपन की,
फिर भी यादें नहीं जाती बचपन की,
वही शरारतें, वही मस्ती,
हम निभाते अभी भी दोस्ती,
जब तक जीवन नैया है
हम सब उसके खिवैया हैं।
