STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational Children

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational Children

पापा की परी

पापा की परी

1 min
270

जब से वह आई है 

पापा के अरमानों ने 

ली एक नई अंगड़ाई है

नन्हे नन्हे हाथों की 

नन्ही सी लकीरों में पापा ने 

अपनी किस्मत लिखवाई है 


जान भर देती है पापा में 

उसकी एक अदद मुस्कान 

एक स्पर्श दूर कर देता है थकान 

एक हरकत जगा देती है जादू 

उसे देखे बिना अब दिल पे नहीं कोई काबू 

कंधे पे बैठाकर सैर कराऊं 

घोड़ा बनकर पीठ पे बिठाऊं 

बाथ टब में छ्प छ्प करके उसे नहलाऊं 

लोरी गाकर उसे सुलाऊं 

दिल करता है बस, उसे देखे जाऊं 

पता नहीं और क्या क्या इच्छाएं हैं पापा की ? 


दुनिया की नजरों से उसे बचाना है

कदम कदम पर "शैतानों" का ठिकाना है 

आजकल किसी पे भी विश्वास नहीं करना

परियों का देश नहीं रहा है अब ये

अब तो ये लंका बन गया है जहां 

सीताओं को रावणों से बचाना है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational