पापा की परी
पापा की परी
जब से वह आई है
पापा के अरमानों ने
ली एक नई अंगड़ाई है
नन्हे नन्हे हाथों की
नन्ही सी लकीरों में पापा ने
अपनी किस्मत लिखवाई है
जान भर देती है पापा में
उसकी एक अदद मुस्कान
एक स्पर्श दूर कर देता है थकान
एक हरकत जगा देती है जादू
उसे देखे बिना अब दिल पे नहीं कोई काबू
कंधे पे बैठाकर सैर कराऊं
घोड़ा बनकर पीठ पे बिठाऊं
बाथ टब में छ्प छ्प करके उसे नहलाऊं
लोरी गाकर उसे सुलाऊं
दिल करता है बस, उसे देखे जाऊं
पता नहीं और क्या क्या इच्छाएं हैं पापा की ?
दुनिया की नजरों से उसे बचाना है
कदम कदम पर "शैतानों" का ठिकाना है
आजकल किसी पे भी विश्वास नहीं करना
परियों का देश नहीं रहा है अब ये
अब तो ये लंका बन गया है जहां
सीताओं को रावणों से बचाना है।
