नि:शब्द हूं...
नि:शब्द हूं...
इन दिनों नि:शब्द हूं मैं,
मेरी नि:शब्दता ही मेरा मौन है
या मौन मेरी नि:शब्दता का कारण
नहीं जानती....
इन दिनों व्याकुल हूं मैं,
मेरी व्याकुलता ही मेरी कमजोरी है
या कमज़ोरी मेरी व्याकुलता का कारण
नहीं जानती....
इन दिनों तलाश में हूं मैं,
मेरी तलाश ही मेरा अस्तित्व है
या अस्तित्व मेरी तलाश का कारण
नहीं जानती....
गर कुछ जानती हूं तो बस इतना कि इन दिनों
दीवार को घूरते रहना आम बात है
सुबह से ढलती शाम और
शाम से स्याह होती रात के
कोई मायने नहीं इन दिनों
केवल मेरा मन
मन का वो तेज भंवर
भंवर में हिचकोले खाती
जीवन की कश्ती
और उस कश्ती में बैठी मैं
नि:शब्द हूं
नि:शब्द हूं.....!