नारी
नारी
त्याग,संघर्ष और करुणा यही मेरा नाम है
हौसलों के दम पर अब ऊँची उड़नी उड़ान है
इस पुरुषप्रधान समाज में बनानी अपनी पहचान है
हाँ,स्त्री मेरा नाम है!
देश की सत्ता सँभाल सकती हूँ
ला सकती हूँ बदलावों की आँधी
हाँ,मैं भी बन सकती हूँ श्रीमती इंदिरा गाँधी।
कानून का पाठ पढ़ाकर
चढ़ सकती हूँ सफलता की सीढ़ी
हाँ,मैं भी बन सकती हूँ श्रीमती किरण बेदी।
पहन सकती हूँ विदेश मंत्री का ताज
कर सकती हूँ सबके दिलों पर राज
हाँ,मैं भी बन सकती हूँ श्रीमती सुषमा स्वराज।
मुक्केबाजी दिखाकर सबको कर सकती हूँ मौन
हाँ,मैं भी बन सकती हूँ मैरी काॅम।
माना शर्म-लाज है औरत का गहना
पर क्यों कभी इसे पुरुष ने न पहना
क्यों स्त्री को ही है सब कुछ सहना
अब मेरा है इतना ही कहना
साधारण नहीं मैं हूँ चिंगारी...
एक नारी सभी पे है भारी।