नारी मूर्ति नहीं इंसान है
नारी मूर्ति नहीं इंसान है
नारी मूर्ति नहीं इंसान हैं,
वह हम सब का सम्मान है,
वह हर घर की शान है ,
वह सभ्य समाज का सम्मान है,
नारी को हम कभी बेटी के रूप में पाते है,
नारी को हम कभी पत्नी के रूप में पाते है,
नारी को हम कभी बहन के रूप में पाते हैं,
नारी को हम कभी मां के रूप में पाते हैं,
नारी को कभी हम बुआ, चाची के रूप में पाते हैं
नारी को हम कभी दादी नानी के रूप में पाते हैं,
नारी को हम अलग अलग रूप में पाते है,
नारी को हम हमेशा ममतामई रूप में ही पाते हैं
नारी का बचपन में कन्या रूप में हम पूजन करते है
नारी का बड़ा होने पर हम अनेक रुपों में सम्मान करते है,
नारी का सम्मान जो समाज करता है
वह समाज हमेशा उन्नति करता है,
हमें नारी की महत्ता को समझना होगा,
उसे उचित सम्मान देना होगा,
हमें नारी को भयमुक्त समाज देना होगा,
नारी को घूमने, फिरने व कोई भी
व्यवसाय चुनने की आजादी देनी होगी,
नारी का सम्मान ही हमारा सम्मान है यह समझना होगा,
नारी को बराबरी का अधिकार देना होगा,
नारी मूर्ति नहीं इंसान है, वह हम सबका सम्मान है,
