नारी की रचना
नारी की रचना
नारी
जो सृष्टि की अंतिम कृति है,
ईश्वर ने नारी देह को,
बेंत का लचीलापन,
फूलों सा खिलना,
पत्तियों सी नाजुकता,
हिरणी की आँखों सी चंचलता दिया है।
कभी इन हिरणी सी आँखों में,
मेघ से आँसू का बरसना पाया है,
तो कभी, वायु सी चपलता।
कहीं नारी में ,
मोर का सा अहं है,
तो कहीं
तोते के हृदय की सी कोमलता।
जहाँ नारी में,
हीरे की दृढ़ता है,
वहीं है शहद की सी मधुरता।
शेर की खूंखारता संग,
बर्फ सी ठंडक भी है।
सारस से इसने ली मक्कारी,
चक्रवाक से छलनावृत्ति,
कोयल से ले मधुर बोली,
धन्य हुई जगत् में।
इन सबका मिश्रण है नारी,
ईश्वर की इस कृति को पाकर,
प्रकृति ने पूर्णता पाई।