STORYMIRROR

Reena Srivastava

Abstract

4  

Reena Srivastava

Abstract

नारी की कहानी

नारी की कहानी

1 min
265

नारी है तू कोई गुलाम नहीं।

बेड़ियों को तोड़ आगे बढ़।

तेरी मंजिल तुझे बुला रही है।

 रास्ते में मिलेंगे कई पत्थर।

       

 ना रुकना है ना झुकना है।

बस आगे ही बढ़ते जाना है।  

हर नारी की होती अपनी कहानी।

बन कर रह जाती वह एक बेचारी।

      

 घर ने सताया तो कभी दुनिया ने।

 हर जगह देनी पड़ती कुर्बानी।   

 मिलता नहीं हक नारी को।

मांगनी पड़ती है अपनी आजादी।

       

 नारी है तू बलिदान की मूरत नहीं।

 कष्ट देने वाले समाज से।    

 छीन ले तू अपनी आजादी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract