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नारी की आवाज

नारी की आवाज

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नारी हूँ आज्ञाकारी हूँ

देश के लिए न्यारी हूँ

मैं जो लिख पाती वह नहीं समझता

उसकी यह नादानी है


मैं जो लिख पाती वह नहीं छपती

उसकी यह बेईमानी है

ऐसे में ये देश महान बनता नहीं

ऐसे में भ्रष्टाचार मिटता नहीं


यदि वह मेरी लेख को समझ ले

तो भ्रष्टाचार मिट जाये

यही मेरी देश के लिए निशानी है

मैं लिखती देश के लिए


मगर वह दुनिया के छपती नहीं

मेरे मन में हैं ज्ञान की हलचल

मगर मीडिया इसे समझती नहीं


मैं लिखती हूँ जादू की कलम से

यदि वह मेरी लेखनी को समझ जाये

तो सारा जहाँ बदल जाये !



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