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Pooja Negi

Abstract Classics

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Pooja Negi

Abstract Classics

नारी हो तुम

नारी हो तुम

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नारी हो, तुम लक्ष्मी हो

जहां अहमियत ना हो वहां रहना मत।

नारी हो, दुर्गा हो तूुम

जहां कुछ गलत हो चुप रहना मत।। 


नारी हो तो सरस्वती भी हो तुम

कभी ज्ञान और शिक्षा देने से पीछे हटना मत। 

नारी हो तुम शक्ति हो, 

अंधेरों में मशाल बनकर जलना भूलना मत। 


सौन्दर्य हो नारीत्व के रूप में 

पराशक्ति - प्रकृति हो

लेकिन इस बात पर अहंकार कभी करना मत। 


नारी हो तुम महाकाली हो,

अन्याय करे कोई तो लड़ना, 

डरना मत। 


सिर्फ़ नारी ही नहीं 

संसार की नींव हो तुम, 

कभी कमजोर होकर टूटना मत! 


तुम हो कमल का फूल जो अर्पण इस संसार को,

तो कभी हो जल गंगा का जो चढ़े भगवान् को

  

एक मां, बेटी, बहू, बहन, पत्नी के रूप में 

तुम इस धरती पर विराजमान हो।

तुम्हे ज्ञात है, सर्वोपरी रचना हो ईश्वर की तुम 

प्रेम करुणा और सम्मान हो।।


नारी हो तुम शक्ति स्वरूप हो

कभी उस शक्ति का दुरुपयोग करना मत।


स्वयं धर्म की मूरत हो तुम

कभी भूलकर भी अधर्म पर चलना मत।


नारी हो तुम 

सत्य की साक्षी हो।

ओह नारी, 

तुम कभी झूठ बनना मत।


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