ना जाने कब हम इतने बड़े हो जाते है
ना जाने कब हम इतने बड़े हो जाते है
इस छोटी सी जिंदगी में,
सब अपने पीछे छूट जाते हैं।
जिंदगी के कुछ पन्ने,
अधूरे ही रह जाते है।
वक्त होता है समझने का,
लेकिन हम समझना ही नहीं चाहते हैं।
ना जाने कब हम,
इतने बड़े हो जाते हैं।
धीरे धीरे वक्त में,
चलना सीख जाते हैं।
कौन जाने पर कहीं ना कहीं,
हम मां बाप को ही भूल जाते हैं।
जब होश आता है,
तो खुद को अकेला ही पाते हैं।
ना जाने कब हम,
इतने बड़े हो जाते हैं।
क्यों हम अपनी प्रॉब्लम,
दूसरों को समझाना ही नहीं चाहते हैं।
दोस्तों से खुशी तो शेयर करते हैं,
पर दुख को जताना ही नहीं चाहते हैं।
जो गुनाह हमने किया ही नहीं होता,
क्यों हम उसकी सजा खुद को ही देना चाहते हैं।
ना जाने कब हम,
इतने बड़े हो जाते हैं।