मुसाफिर
मुसाफिर
गोधूलि बेला
ठंडी पवन
मौसम अलबेला
मुसाफिर अकेला।
चला मैं जानिबे मंज़िल
मगर बहुत झमेला
न कोई साथी न सहारा
मुसाफिर अकेला।।
चला-रुका-चला
मंजिल की ओर
बांध हिम्मत की गठरी
मुसाफिर अकेला।
है यक़ीन मिलेगा
मुक़द्दर खिलेगा
"बेचैन" न रहेगा
मुसाफिर अकेला।।
