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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Classics Children

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Classics Children

मुक्तक : दादी की थपकी

मुक्तक : दादी की थपकी

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बिना दादी की थपकी के कहां ये नींद आती है 

वो दादी है जो रोजाना , कहानी नई सुनाती है 


कभी करते जो शैतानी तो डरते मम्मी पापा से

मगर दादी हमें अपने पल्लू में चुप से छुपाती है।


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