मुझसे जान मांग ले कोई
मुझसे जान मांग ले कोई
मेरी मुस्कान मेरी होती तो बात और थी
कई लब मुस्कुराते हैं मेरी मुस्कान देखके
ना मेरी मुझसे ये मुस्कान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई।
मेरी ज़मीन मेरा आसमान,
मेरा खान-पान ले लो समझौता
कुछ भी कर लूँगा मैं बस
ना मेरा मुझसे सम्मान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई।
ईसाई पढ़ रहा गीता,
हिन्दू के हाथ में कुरान है
शान्ति कि इच्छा है,
भाईचारे का अरमान है
ना मेरा मुझसे ये अरमान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई
घर नहीं बार नहीं, किसी का उधार नहीं
नाउम्मीदों कि दुनिया में उम्मीद से हूँ
ना मेरी उम्मीद का मकान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई
मरा हूँ कई बार मैं, लेकिन जिया भी हूँ
यादों के ढेर में कुछ सामान मेरा भी है
ना मेरा मुझसे ये सामान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई
चोट मुझे लगती है, दर्द उसे होता है
उदास मैं होता हूँ, माँ का हृदय रोता है
ना मेरा मुझसे ये भगवान मांग ले कोई
चाहे तो मेरी मुझसे जान मांग ले कोई।