मंज़िल
मंज़िल
थोड़ी परेशानियां भले जिंदगी में मगर राह अपनी भटका नहीं हूँ मैं।
पहुंच जाऊंगा अपनी मंजिल पर जिंदा हूँ अभी मरा नहीं हूँ मैं।
थोड़ी तबियत क्या बिगड़ी मेरी दुश्मन खुशियां मनाने लगे।
चल रहा हूँ रास्ते पर अभी गिरा नहीं हूँ मैं।
दूंगा सबके सवालों का जवाब अभी थोड़ा संभल रहा हूँ मैं
पहुंच अपनी मंजिल पर जिंदा हूँ अभी मरा नहीं हूँ मैं।
खुदा का वास्ता देकर मुझे न रोको दुनिया वालों
खुदा का ही तो सहारा है तभी तो आगे बढ़ रहा हूँ मैं
मेरे अपनों की दुआओं का तो असर है ये
जो इतनी परेशानियों में भी मुस्कुरा रहा हूँ मैं
पहुंच जाऊंगा मंजिल पर जिंदा हूँ अभी मरा नहीं हूँ मैं।।