STORYMIRROR

Arun Singh

Inspirational

4  

Arun Singh

Inspirational

मंजिल के राही

मंजिल के राही

1 min
277

   एक दिन ओ मंजिल के राही

   चल दिया तू लक्ष्य की ओर

   अब क्या देखे वापस मुड़कर

   तेरे पीछे कोई ओर ना छोर 

   सोचे तू बचपन के झरोखे 

   पिछले दिनों की स्मृति रोके

   मंजिल की नित छवि सोचकर

   चल पड़ता है तू गिर पड़ कर

   मन में नूतन उल्लास बांधकर 

   एक दिन ओ मंजिल के राही 

   चल दिया तू लक्ष्य की ओर 

    कभी सफर सुहाना होता 

    कभी होती है कठिनाई 

    जीवन भर का दुख सताता

    तुझे रोकने एक अंकुर आता

    भटकते हुए वह उपवन को जाता

    बंजर भूमि को जोतकर

    आशा के फिर नए दिए जलाकर

    एक दिन ओ मंजिल के राही 

    चल दिया तू लक्ष्य की ओर



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational