Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anupama Shri

Abstract

4  

Anupama Shri

Abstract

मन कानन में....

मन कानन में....

1 min
386



मन कानन ने आज 

ये कैसे भाव सँवारे हैं!

अहा! सुस्वप्न!  

जैसे चारों धाम के स्वामी 

धाम हमारे पधारे हैं

जिनकी पलक पर

वक्त ठहरा है 

जिनकी मुट्ठी में असंख्य 

सूर्य, चंँद्र, ब्रह्मांड 

नक्षत्र और तारे हैं 

तत्त्वमसि! सुमंगल दाता, 

पूर्ण काम यह

कैसी कामना धारे हैं।,


जाकी रही भावना जैसी, 

प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी 

अनिमेष मैं देखूंँ ,

नयनाभिराम मूरत ये कैसी!

शत कोटि चँद्रिका 

जैसी रूप राशि,

जिस रुप में 

जहाँ मिलो प्रभु, 

तुम पर हम, 

तन - मन वारे हैं।


क्या जन -जन के 

पालक,पोषक

कण -कण के वासी,

अजर- अमर अविनाशी, 

राधा नागर

 मन को भरमाए हैं!

"सर्व खलु इदं ब्रह्म"

किस घट से, कैसी

तृषा बुझाने आज,

इस पनघट पर आए हैं!

कि जड़ - चेतन को तृप्त 

करने वाले परमानंद ,

मुझ चातक के लिए, 

स्वयं स्वाति बूंँद लाए हैं ।



Rate this content
Log in