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Ritik Tiwari

Abstract

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Ritik Tiwari

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मिलो तुम भी अगर मुझसे

मिलो तुम भी अगर मुझसे

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मिलो तुम भी अगर मुझसे मिलूं मैं भी अगर तुमसे,

न कोई वेदना हो फिर विलय हो प्रेम का तुमसे 

न मंजिल हो न रास्ता हो न कुछ भी हो अलग तुमसे,

तुम्हारे साथ जीवन हो मरण भी साथ हो तुमसे...


मेरी इस जिंदगी का मैं, तुम्हें मुकाम लिखता हूं,

लिखता सुबह तुमको, तुम्ही को शाम लिखता हूं,

मेरी है राह तुमसे ही, तुम्ही जीने का जरिया हो,

मेरी बहती हुई सांसो, पे तेरा नाम लिखता हूं। 


बताना चाहता हूं मैं बताऊं मै तुम्हें कैसे,

जो कहना है मुझे तुमसे सुनाऊं मैं तुम्हें कैसे,

तुम्हारी भावनाओं में समेटे हूं जहां सारा,

मोहब्बत है मुझे तुमसे जताऊं मैं तुम्हें कैसे।


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