मां भारती
मां भारती
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लिखा तुमको ही है मैंने तुम्ही को शीश धारा है,
पिरोया है तुम्हें छंदों में गीतों में उतारा है,
जिया हूं आज तेरे ही लिए तुझ पर मरा हूं मैं,
मेरी मां भारती हो तुम तुम्हें मैंने पुकारा है।
कलम रचती है जो मेरी तुम ही से शब्द आते हैं,
लिखूं मैं ओज करुणा या विरह तुमसे ही आते हैं,
तुम ही मेरे विचारों में हो विचरण हर समय करती,
लिखूं मैं आज जब कुछ भी तो बस जय हिंद आते हैं।
वतन से आशिकी की है वतन पर जां मिटा देंगे,
वतन के ही लिए अपने लहू को हम बहा देंगे,
उठी जो तुझ पे है नजरें कसम मां भारती मुझको,
तिरंगे का कफन खुद पर हंसते हम सजा देंगे।
