मीठी बोली
मीठी बोली
रिश्तों में
चापलूसी
नहीं चलती
मीठी बोली
आज
भले ही
रिश्ते को
मजबूत
कर दे
लेकिन
यह रिश्तों
का बंधन
कच्चे धागों
से ही
बन्धे होते है
जैसे ही
चापलूसी
का भान
होता है
रिश्ता
टूट
जाता है
छूट
जाता है
बिखर
जाता है
और जब
रिश्ता
फिसलने
लगता है
तब रुके
नहीं रुकता
मुट्ठी में
रेत की
तरह
मीठी
बोली
रिश्ते को
मजबूत
करने का
आधार है
फिसलते
रिश्ते को
रोकने की
ताकत
इसमें भी
नहीं है।
