STORYMIRROR

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational Others

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational Others

मीठी बोली

मीठी बोली

1 min
466

रिश्तों में

चापलूसी

नहीं चलती

मीठी बोली

आज

भले ही

रिश्ते को

मजबूत

कर दे

लेकिन

यह रिश्तों

का बंधन

कच्चे धागों

से ही

बन्धे होते है

जैसे ही

चापलूसी

का भान

होता है

रिश्ता

टूट

जाता है

छूट

जाता है

बिखर

जाता है

और जब

रिश्ता

फिसलने

लगता है

तब रुके

नहीं रुकता

मुट्ठी में

रेत की

तरह

मीठी

बोली 

रिश्ते को

मजबूत

करने का

आधार है

फिसलते

रिश्ते को

रोकने की

ताकत

इसमें भी

नहीं है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract