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EDUCATOR RAJEEV

Abstract

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EDUCATOR RAJEEV

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महूरत

महूरत

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भाई जैसे दोस्त

और दोस्त जैसे भाई की

खोज में चली मनू की संतान।

किसी को दोनों मिले

कोई दोनों से परेशान।

किसी की बात ऐसी कि 

भाई का सीना दे भेद

किसी का काम ऐसा कि 

भाई नहीं होने का ना हो खेद।

गर्लफ्रेंड जैसी पत्नी

और पत्नी जैसी गर्लफ्रेंड

ढूंढ रहे हैं लोग

किन्तु ऐसा है संयोग कि

एक के होते दूसरी

हरगिज़ नहीं होती।

इसे समझने की 

कोई जरूरत नहीं है

क्यूंकि आपको समझाने का

अभी सही मुहूरत नहीं है।


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