मेरी प्यारी माँ
मेरी प्यारी माँ
नौ महीने दर्द सहा फिर भी ना घबराई वो
मुझे दुनिया मे लाकर सबसे पहले मुस्कुराई वो,
प्यार और ममता के भरे उन आँखों ने मुझे गोद मे पनाह दी,
उसकी लोरियों मे, मैं बंध कमरे मे भी सितारों से मिली |
जब कभी बीमार हुई मै , अकेले मुझे लेकर भटकी
दर-दर,
मेरी हालत देख उसकी आँखों से पानी बहता
सर-सर |
अंगारों पे खुद चल स्वर्ग सजाया उसने
मेरे लिए ,
सदा जलाये रखे मेरे मन मे सच्चाई, संस्कार और सम्मान
के दीये |
कभी गुस्सा हो मै उसे कह देती कुछ भी ,
उसका दिल कितना दुखता
लेकिन चुपचाप सेहती |
अपनी बांहों में सजाई मेरी दुनिया, सपनो से भरी
मै बनू कुछ पढ़-लिख कर
उसके लिए वो हमेशा लड़ी |
उसके आँखों मे आसुँ देख आज पता चला,
असली दर्द क्या होता है
प्यार मैं उससे करती हूँ कितना,
क्या बता पाऊँगी कुछ चुनिंदा लफ़्ज़ों में ?
बस दुःख इसी बात का होता है....