मेरी माँ
मेरी माँ
दुनिया में हमको लाती
जीना हमें सिखाती माँ,
आदर सत्कार जीवन मूल्यों का
हमसे परिचय कराती माँ।
अपनी गोद में मुझे लिटा कर
जन्नत की सैर कराती माँ,
अपने बच्चों को प्यार दुलार से
जीवन जीना सिखाती माँ,
जब भी कोई मुश्किल आए
हिम्मत से लड़ना सिखाती माँ।
संघर्ष में साहस ना खोना
राज़ ये मुझे बताती माँ।
ससुराल के रीति रिवाज से
रूबरू मुझे कराती माँ,
अपना सुख आराम त्याग कर
सब की सेवा सिखाती माँ।
हर तरक्की हर सफलता पर
सबसे अधिक इठलाती माँ,
आंखें तपाक से नम कर लेती
फोन पर जब बतलाती माँ।
दिन एक भी बात ना हो तो
तुम उदास हो जाती माँ,
इंतजार में मेरे बैठी
दरवाज़ा निहारे जाती माँ।
अब जब मैं स्वयं एक माँ बनी
बात समझ में आती माँ,
उलझनों में मैं ऐसे घिर गई
याद तुम्हारी आती माँ।
तुम सा कोई नहीं है दूजा
सखी तुम ही भगवान भी माँ,
जब भी मन दुखी हो जाता
बहुत याद तुम आती माँ।
बहुत याद तुम आती माँ।
