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Keshav Byahut

Romance

5.0  

Keshav Byahut

Romance

मेरी चांद तुम

मेरी चांद तुम

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तेरी याद आ रही थी

कैसा वादा किया था तुमने,

मुझसे कहती थी जिंदगी भर

साथ निभाऊंगी,और अब,

बात करने से भी इंकार करती हो।


जो चली गई मुझे छोड़ के

सिसकियां ले रहा है वजूद मेरा,

नोच - नाेच कर खा रही है

तेरी यादें मुझे,

नींद से ताल्लुक ही नहीं,

हां, ख्वाब आ करके टहलते हैं,

कभी - कभी मेरे सीने पर।


दिल कर रहा था तुझे देखने को

इतना बेताब था मिलने को कि

धड़कनें चूक रहीं थीं,

कितना खूबसूरत है एहसास तुम्हारा,

तेरी खुशबू से रोम - रोम महक रहा था।


छत पर था मैं,

तेरी यादों में टहल रहा था,

महसूस हो रहा था जैसे सामने हो तुम,

याद है तुमने क्या कहा था

जब तुम छत पर आयी थी अकेले

रात में मिलने मुझसे?


जब हम अनकहे लफ्ज़ समझ रहे थे,

जब हम मीठे ख्वाब बुन रहे थे,

यही कि हमें कोई देख तो नहीं रहा,

मैंने तुम्हारे बालों

को संवारते हुए कहा था,

हां, आसमां का चांद मेरे चांद को

उस दिन तारे भी नहीं थे,

तब तुमने कहा था,

हमारे मोहब्बत का एक गवाह भी है,

हम दोनों के सिवाय इसे ही पता है,

हमारी प्यार की कहानियां।


वो चांद मुझे देखकर हंस रहा था आज

मैंने कहा था जो,

तुम चांद से भी ज्यादा खूबसूरत हो,

और मासूम भी उनसे कहीं ज्यादा

आज वो पूछ रहा था मुझसे

तुम्हारे बारे में।


बोल रहा था आज अकेले हो

और खुश भी नहीं?

कहां है मुझसे भी खूबसूरत

एक चांद जो था तुम्हारे पास

छोड़ गई?


मैं अवाक था और बोला भी चांद को

वो तो कसम खाई थी तुम्हारा

ना छोड़ के जाएगी मुझे कभी

चांद थोड़ा झुंझलाया फिर हंस दिया

उसे मजाक लगा था शायद

फिर क्या था..!


रात भर तेरी तारीफें करता रहा,

चांद इतना जला की सुबह तक सूरज हो गया।

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