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Rutuja Kurekar

Abstract Drama

3  

Rutuja Kurekar

Abstract Drama

मेरे टीचर्स!

मेरे टीचर्स!

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Seen 1

अलसाई गर्मी की सुबह वाली क्लास है।

घड़ी पर, सिर्फ आठ बजे है। 

एक नज़र जब चारों ओर देखती हूं 

तो सब अपने आप में खो गए है ।

कहीं खाली तख्त, तो कहीं मेरे दोस्तों से भरा प्यार का मज़ा

और वह सामने, ईमानदारी के प्रतीक खड़े होकर

कुछ बताने की कोशिश कर रहे थे।

और कहीं तो जुते में ठूंसा हुआ कल का पहना पुराना जुराब। 

अजीब माहौल है।

सुना....

सुनो तो जरा...

एक कि आवाज़ सबके कानों तक धीमे धीमे तेज हो रही है।

जी हां शिक्षक, टीचर्स, infinite years old!

एक अनुदेश दे रहे है। ये एक एहसास है। 

जिनके सहारे ही हम परिंदे से आसमान में परवाज़ पाते है।


Seen 2


बिना बताए, बिना समझाए उनके दिए गए Life lessons.

जैसे मंदिर में सबको अंदर भेज 

खुद जूतों की रखवाली करते, टीचर्स!

हम राऊडी students की धमकी और तमंचों से बिना डरे ,

हमें, ईमान और न्याय की राह पर वापस लाते ,शिक्षक !

हमारे teachers.

और कभी..अपने बच्चों को बिठाकर कभी गांधी,

कभी टॉल्स्टोय, तो कभी टैगोर किताबों की दुनिया की

सैर करते टीचर्स।

कभी ऐसे लगता है कि जैसे इस,

पढ़ाई के समुंदर में डूबते जा रहे है हम।

और जब सपनों तो अं

जाम देते देते ,

हार कर जो रो पड़ी मैं .. तो मेरी हिम्मत ,

मेरी ताकत , मेरी पहचान याद दिलाते teachers!

असफलता , झूठा गौरव बही जो मेरे कोशिशों के घाव से,

अपने सकारात्मक शब्दों से पोछ, उस घाव को हर,

शान से जीवन जीना सिखाते शिक्षक।

कैसे टीचर्स ?

बढ़ते रहना, बहते रहना, सच्चा बनकर लड़ते रहना,

जब हो तुम , जहाँ हो तुम, कर्म पंथ का अलग बजाते

कर्मपंथी शिक्षक।


Seen 3

अब... climax !

अब मैं बड़ी हो जाऊंगी, अब मैं आगे बढ़ चली।

और शिक्षक ! वो हर रोज, हर साल, उसी क्लास में

उसी जोश, वहीं उल्लास, वहीं आत्मविश्वास के साथ फिर खड़े रहेंगे।

क्योंकि उनका आनंद जब वहीं है।

और सपने...

सपने तो आज भी बुनते है वो !

फिर उसी क्लास में हमारी जगह पर बैठे

किसी और के लिए ... और हमारे लिए भी ।


कुछ सुना.....?

सुना क्या तुमने....

अलसाई सी गर्मी वाली सुबह की क्लास है।

घड़ी पर आठ बज गए है।

आप, याने की टीचर्स फिर से अनुदेश दे रहे है।

वहीं कुर्सी, वहीं chalk और Blackboard

इस वक़्त पूरी निष्ठा से हमें हमारे जीवन से रुबरू कराते है !

और अपने थके हुए लेकिन हौसले भरे हाथों से 

मुझे समेटे खड़े है

मेरे शिक्षक ! 

Our Teachers!



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