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Anuradha Rana

Abstract

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Anuradha Rana

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अस्तित्व की तलाश

अस्तित्व की तलाश

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अस्तित्व की तलाश में 

कुछ मोती बिखर जाते हैं

 इधर-उधर बिखर

 जाने कहां खो जाते हैं।।

 ना रूप ना रचना पाकर 

आकार पाना चाहते हैं 

कहीं इधर कहीं उधर

 इस सांचे में ढलना चाहते हैं ।।

बिखराव तो जीवन में आ ही जाता है 

उम्र की दहलीज पर छा ही जाता है

 ना आए झरोखा आंधी का 

कोई कहां बता पाता है ।।

मिल जाए गुरु कोई ऐसा 

जो बिखराव को समेट ले

जीवन को सँवारकर

हमारे अस्तित्व को स्वर्णिम अवसर दें


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