कहीं इधर कहीं उधर इस सांचे में ढलना चाहते हैं कहीं इधर कहीं उधर इस सांचे में ढलना चाहते हैं
नहीं मिल सकेगी जीवन में कभी भी तुझको हार आज का काम आज कर कल पर कभी ना टाल नहीं मिल सकेगी जीवन में कभी भी तुझको हार आज का काम आज कर कल पर कभी ना टाल
होता कुम्हार का आभारी जिसने मेरा रूप बनाया। होता कुम्हार का आभारी जिसने मेरा रूप बनाया।