STORYMIRROR

Mridula Pandey

Abstract

3  

Mridula Pandey

Abstract

मेरा साथी

मेरा साथी

1 min
252

ए मेरे साथी ओ कलम,

तेरे बिना हूं मैं अधूरा ओ मेरे महरम।


तू ना होता तो रह जाता में कोरा,

बन के सफेद रह जाता में अकेला।


जनता हूं मैं ये तो सही,

कि है साथ यार मेरा,

जो रहने ना देता मुझको अकेला।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract