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Bhoumit sachde

Abstract

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Bhoumit sachde

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मेहनत

मेहनत

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मन्न की गहारीयन मैं जो है

चुपा वो तुझे मिलेगा जरूर,

कर खुड के कर्मो की

इबादद होजा मेहनत से चकना चुर।


कसले कमर होजा तैयार,

जीवन के कुरुक्षेत्र में होगा

आगला तेरा वार।


इस कलयुग मैं सुखुन

तो बस एक भ्रम है,

होना है विजय

तो सूत्र परिश्रम है।


मनवता पे लालच का कबज़ा है,

कर्मों के साथ मानवता

धर्म यह ही सही जब्जा हैं।


दिलसे कर ले प्यार अपने काम से,

उठाले अपना सर जी ली

अपनी जिंदगी को शान से।


है तू जोगी तो कर तपसिया,

अगर दिल में है ईमानदारी तो

क्यों है फिर फल की समस्या ?


ज़िन्दगी बन जाती है जन्नत,

अगर उस जीवन का आधार हो मेहनत।

मन्न की गेहारीयन में जो है

चुपा वो तुझे मिलेगा जरूर,

कर खुद के कर्मो की इबादत

होजा मेहनत से चकनाचुर।


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