मैंने 90s का बचपन नहीं देखा
मैंने 90s का बचपन नहीं देखा
मैंने 90s का बचपन नहीं देखा
पर मेरा बचपन वैसा नहीं जैसा सब समझते हैं,
हुई तो मैं इक्कीसवीं सदी में ही
पर मुझे आज भी गिट्टे-पिट्ठू अच्छे लगते हैं |
शाम को रोज़ इक्कट्ठा हो जाना
चार बच्चे मिलते ही टीचर बन जाना,
पापा को अपना घोड़ा बनाना
और ‘ लकड़ी की काठी ' वह गीत पुराना |
कट्टी अब्बा से झगडे सुलझाए हैं
खो- खो कबड्डी भी बहुत आज़माई है,
दिन भर खेलना, “ बस दो मिनट और "
इनके चक्कर में मार भी बहुत खाई है |
trong>खुद से भारी स्कूल बैग उठाना
सुबह पेट दर्द का बहाना बनाना,
वो बोतल में हरे नीले कंचे याद हैं?
कैंडी फ्लॉस को बुड्ढी के बाल बुलाना |
दादी के पीछे मंदिर भाग जाना
गिरते-गिरते वह साइकिल चलना,
बीमारी में माँ का थोड़ा ज़्यादा प्यार पाना
याद आता है वो गुज़रा ज़माना |
मूवीज़ कम और मोगली ज़्यादा देखा है
माँ ने मेरा बर्फ़ का गोला बहुत फेंका है,
मेरा बचपन टीवी और मोबाइल में नहीं सिमटा रहा
पर मैंने आज बचपन को बदलते देखा है |