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पी. यादव 'ओज'

Inspirational

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पी. यादव 'ओज'

Inspirational

मैं

मैं

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मैं से मैं की दोस्ती, 

मैं से मैं का प्यार। 

मैं से बिगड़े, 

मैं की जिंदगी, 

मैं से बिगड़े, 

मैं का संसार


मैं-मैं की राग से, 

मौन पड़े अनुराग

काया मिले राख में,

मैं की लगे जो आग।


मैं से चले न दुनिया, 

मैं से चमके ना भाग्य

मैं की करे जो चाकरी,

जागे फिर दुर्भाग्य।


मैं-मैं करता मैं मरा, 

मैं-मैं करता संसार।

मैं-मैं बुझता लौ-सा,

मैं से फैले अंधकार।


मैं दिखाएं बाट नर्क की,

मैं मिटाए आत्मप्रकाश।

मैं से मिले जीवन धूल में 

मैं ही करे सत्यानाश!


मैं से बिगड़ा है अतीत, 

मैं से बिगड़ा वर्तमान।

मैं से बिगड़ा जन्म-जन्मांतर,

मैं से खोए भविष्य की पहचान।


मैं की दलदल से उबरो, 

मैं बड़ा दुष्ट-शैतान।

मैं छोड़े तो हरि मिले 

मिले ज्ञान अमृत-समान। ‌


मैं से मैं की दोस्ती, 

मैं से मैं का प्यार। 

मैं से बिगड़े, 

मैं की जिंदगी, 

मैं से बिगड़े, 

मैं का संसार।


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