STORYMIRROR

Deendayal Mittal

Abstract

4  

Deendayal Mittal

Abstract

मैं एक नारी हूं

मैं एक नारी हूं

1 min
41


मैं एक नारी हूं

याद में तेरी जहां को भूलती जाती हूं मैं

भूलने वाले कभी तूझको भी याद आती हूं मैं


मैं एक नारी हूं

मैं एक नारी हूं रूठी किस्मत की मारी

मतलबी झूठे संसार से परेशान

दील जलता आंखे रोती कैसी झूठी उम्मीद बांधना

कमजोर लाचार ऐसी पागल ना समझना 


मुझसे उलझकर जींदगी से रूठ ना जाना

खूद जीना ओरो को भी जीने देना प्यार से गले लगाना

सहारा प्यार का बनकर आँखे बीछाना 

मैं एक नारी हूं


दील मे प्यार के दीपक जलाकर प्रकाशमान हो जाना

आंखे मीलाकर दुनीया

सवारकर दील मे बसाना

शाम सूहानी दीवानी मस्तानी हो जाना

जींदगी की गाड़ी चलाने को दीलदार समझना


मुझको सहारा मानकर नाराज ना होना

धोखा मुझको दिया तो दुनिया से

आँखें मिलाना मुश्किल हो जाना 

मैं एक नारी हूं


मुझको प्यार मे धोखा नहीं मिलेगा मेरा विश्वास करना

प्यार की राहों पर चलाकर मंजिल तक पहुंचाना

आँखों में बसाकर दुनिया में चमकाना


दिल से लगाकर आँखों में छूपाना

तूमको साथी समझा प्यारा हमराज बनाना

शुक्रिया मेरे प्यार का मुझको काबिल समझना

मैं एक नारी हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract